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Monday, 21 May 2012
कुछ यादें अतीत की
बस बैठी थी कुछ पल तन्हा
कुछ खुश थी कुछ थी मैं उदास
मैं सोच रही अपना अतीत
कैसे कितने कुछ लोग खास
कुछ दोस्त नए कुछ बचपन के
कुछ साथ के हैं कुछ पच्पन के
कितनी मैं खुश हूँ आज-आज
क्यों की ये दिन है खास खास
रचित - कंचन चौहान
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